मसूरी के निकवटवर्ती जौनपुर क्षेत्र में गुलदार व भालू के आंतक से लोग भयभीत।

मसूरी:- पहाड़ों की रानी मसूरी के समीप जौनपुर विकासखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में गुलदार व भालू के आतंक से लोग भयभीत हैं, जंगली जानवरों के भय से गांव के लोगों का जीवन ठहर सा गया है, व शाम होते ही लोग अपने घरों में कैद होने को मजबूर हो रहे हैं।
जौनपुर विकासखंड के पट्टी पालिगाड, दशजुला, छैजुला, सिलवाड, तिरस, आदि क्षेत्रों में आये दिन जंगली भालू, गुलदार के भय से ग्रामीणों का गांव से बाहर निकला जोखिम भरा हो गया है, जंगलों में विचरण करने वाले जंगली जानवरों ने आबादी क्षेत्रों के आस पास डेरा डालना शुरू कर दिया, जिस कारण इनके हमलों से कई लोग जख्मी और कई लोग जिंदगी खो बैठे है, लेकिन सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाये, सामाजिक कार्यकर्ता सोमबारी लाल नौटियाल, बिजेंद्र सिंह पंवार, महिपाल सिंह रावत सीनियर सिटीजन हुकम सिंह राणा, सेवानिवृत कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष खेमराज भट्ट, ग्राम प्रधान प्रियंका देवी ने बताया कि विगत वर्षों की अपेक्षाकृत इस वर्ष जंगली भालुओं, बाघों, गुलदारों की तादात में वृद्धि के कारण आबादी क्षेत्रों के इर्द गिर्द देखें जा रहे है, जिस कारण ग्रामीणों का गांव से बाहर निकलना जान जोखिम में डालने के बराबर हो गया है, वहीं अधिकांश पहाड़ी क्षेत्र पशुपालन और खेती पर निर्भर है, लेकिन जंगली जानवरों के दहशत से महिलाओं का जंगलों में जाना भारी पड़ता जा रहा है, ग्रामीणों ने आक्रोश व्यक्त करते हुऐ बताया कि सरकार रिवर्स पलायन की बात तो करती है लेकिन पहाड़ों की जिंदगियों की सुरक्षा का कोई उपाय नहीं किया गया, पहले लोगों ने पहाड़ों से रोजगार पाने के लिए पलायन किया लेकिन अब जंगली जानवरों से जिंदगी बचाने के लिए पलायन करना पड़ेगा, वहीं ग्रामीणों का कहना है कि जिस प्रकार से पहाड खाली होता जा रहा यह स्थिति रही तो पहाड़ी क्षेत्रों के खाली होने से देश की आंतरिक सुरक्षा को भी खतरा उत्पन्न हो सकता है, लोगों ने सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि जब हमारी सरकार जंगली भालू, गुलदार से लोगों की सुरक्षा नहीं कर सकती तो जब पहाड़ से लोग अन्यत्र पलायन कर लेंगे तो घुसपैठियों को किस प्रकार सरकार रोक पायेगी, जबकि उत्तराखंड का हर आखरी गांव सीमाओं के नजदीक बसा हुआ है और देश की सुरक्षा का जिम्मा निभा रहा है।