पारंपरिक वाद्ययंत्रों के बीच आदि बाजार का शुभारंभ।

मसूरी:-  जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार के आधीन ट्राईफेड के तहत देश भर से आये जनजाति क्षेत्रों के उत्पादों का आदि बाजार मुख्य डाकघर मालरोड में शुरू हो गया जिसका शुभारंभ एसडीएम डा. दीपक सैनी ने पारंपरिक वाद्ययंत्रों के बीच रीबन काटकर किया।
मालरोड स्थित मुख्य डाकघर प्रांगण में देश भर से आये जनजातीय उत्पादों की प्रदर्शनी व बिक्री के लिए आदि बाजार खोला गया जो 17 जून तक चलेगा। आदि बाजार की जानकारी देते हुए निजी सचिव ट्राईफेड ट्राइब्स इंडिया के चमन लाल ने बताया कि गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी देश भर से आये जनजातीय उत्पादों की प्रदर्शनी व बिक्री केंद्र खोला गया है। जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार के आधीन ट्राईफेड द्वारा मसूरी माल रोड में 7 जून से 16 जून तक आदिवासी उत्पादों की प्रदर्शनी और बिक्री का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रदर्शनी में उत्तराखण्ड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि राज्यो से आये लगभग 25 से अधिक जनजातीय उद्यमी अपने उत्पादों जैसे लेडीज साड़ी, कुर्ती, जेंट्स कोट, वेस्ट कोट, ब्लू पॉटरी, ज्वेलरी, वन धन और कृषि उत्पाद साज सज्जा का सामान आदि प्रदर्शनी में बिक्री कर रहे हैं। प्रदर्शनी का उद्घाटन उप जिलाधिकारी मसूरी डॉ दीपक सैनी द्वारा किया गया। ट्राईफेड इन जनजातीय उद्यमियो को देश भर में अपने उत्पादों की बिक्री के लिए प्लेटफ़ार्म प्रदान करता है हैं। इस मौके पर जनजातीय मंत्रालय निजी सहायक चमन लाल ने बताया कि प्रधानमंत्री वन धन योजना के अंतर्गत महिलाएं अपने उत्पादों की प्रदर्शनी ग रही है साथ ही देश के कोने-कोने से यहां उद्यमी आए हैं और स्थानीय लोगों के साथ ही पर्यटक भी यहां आ रहे हैं और सामान की खरीदारी कर रहे हैंइस वर्ष प्रदर्शनी के उद्घाटन के दौरान चकराता क्षेत्र से आये जौनसारी जनजातीय कलाकारो द्वारा पारंपरिक वाद्य यंत्रो की मनमोहक प्रस्तुति भी दी गई जिन्हें पर्यटकों और स्थानीय लोगों द्वारा खूब पसंद किया। इस मौके पर उप जिलाधिकारी डॉक्टर दीपक सैनी ने कहा कि इस प्रदर्शनी में देश के कोने-कोने से आए जनजातीय काश्तकारों व कलाकारों ने अपने उत्पाद लगाए हैं जिनकी ब्रिकी की जा रही है। और उन्होंने सभी से अपील की कि यहां आकर इन उत्पादों को देखें और खरीदें ताकि जनजातीय उत्पादों को बाजार मिल सके। हालांकि पर्यटकों सहित स्थानीय लोगों को जनजातीय उत्पाद खासा आकर्षित व पसंद कर रहे है।