मसूरी आंदोलन की प्रमुख धरती, यहीं पर मिले सम्मान, धरना व ज्ञापन देकर आंदोलनकारी ने विरोध जताया।

मसूरी :- उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी संगठन ने मसूरी के राज्य आंदोलनकारियों को राज्य स्थापना की रजत जंयती पर देहरादून पुलिस लाइन में आयोजित कार्यक्रम का विरोध किया व कहाकि मसूरी राज्य आंदोलन का प्रमुख केंद्र रहा है व यहां पर शहादतें हुई है, इसलिए मसूरी में ही सम्मान समारोह आयोजित किया जाय, अन्यथा नौ नवंबर को शहीद स्थल पर धरना प्रदर्शन किया जायेगा। शहीद स्थल पर आंदोलनकारियों ने धरना प्रदर्शन किया व मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया गया।
शहीद स्थल पर धरना प्रदर्शन कर रहे राज्य आंदोलनकारियों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी की व एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया जिसमें कहा गया कि राज्य स्थापना का पूरा प्रदेश रजत जंयती मना रहा है, लेकिन आंदोलनकारियों की मांगों की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा। ज्ञापन में मांग की गयी कि राज्य निर्माण में मसूरी की अहम भूमिका को प्रदेश सरकार नकार रही है व देहरादून में सम्मान समारोह आयोजित किया जा रहा है ऐसे में मसूरी के वृद्ध आंदोलनकारी जाने में असमर्थ है, उनका सम्मान मसूरी के शहीद स्थल पर किया जाय, मांग की गयी कि लंबित चिन्हीकरण का कार्य पूरा किया जाय व उसके बाद इस प्रक्रिया को बंद किया जाय, राज्य आंदोलनकारियों की पेंशन 25 हजार की जाय। इस मौके पर संगठन के अध्यक्ष प्रदीप भंडारी ने कहाकि मसूरी में राज्य निर्माण में छह लोगों व एक पुलिस अधिकारी से शहादत दी वहीं चार दर्जन से अधिक जेल गये, लेकिन रजत जंयती पर सारे कार्यक्रम देहरादून में हो रहे हैं, जहां लोग शहीद हुए वहां कोई कार्यक्रम नहीं हो रहा है। इससे आंदोलनकारियों में नाराजगी है व आंदोलनकारियों का सम्मान मसूरी किया जाय, अगर सरकार नहीं मानी तो देहादून नहीं जायेगे, चिन्हीकरण पूरा किया जाय, व पेंशन 25 हजार किया जाय। जिनकी फोटो से राज्य आंदोलनकारी चयनित हुए उन्ही को चिन्हीनित नहीं किया। आंदोलनकारी बीना गुनसोला ने कहा कि मेरे पति ने राज्य आंदोलन में जान जोखिम में डाल कर फोटो खींची जिससे चिन्हीकरण हुआ लेकिन आज तक उनका चिन्हीकरण नहीं किया गया न की परिचय पत्र दिया। राज्य आंदोलनकारी कमल भंडारी ने कहा कि मसूरी में राज्य निर्माण में शहादतें हुई, जेल गये उत्पीड़न सहा, लेकिन सरकार उनकी उपेक्षा कर पुलिस लाइन में सम्मान समारोह आयोजित कर रही है जिस पुलिस लाइन में आंदोलनकारियों को यातनाएं दी गयी यह बडा अपमान है, मसूरी का शहीद स्थल एक मात्र शहीद स्थल है जहां पर शहादते दी गयी। अगर सरकार ने इस निर्णय को नहीं बदला तो नौ नवंबर को स्थापना दिवस न मना शोक दिवस मनायेंगे व धरना देंगे। आंदोलनकारी सुरेंद्र डंगवाल ने भी देहरादून में सम्मान का विरोध किया व कहा कि यह सम्मान प्रशासन को मसूरी में दिया जाय। इस मौके पर पूरण जुयाल, महिपाल सिंह, प्रेम चंद गोयल, श्याम सिंह चौहान, अमित गुप्ता, अनिल थपलियाल, अनिल नौटियाल, दिनेश नौटियाल, उम्मेद सिंह पंवार, रमेश राव, रमेश गोस्वामी आदि मौजूद रहे।