अधिवक्ता उनियाल ने कोर्ट में मजबूत पैरवी कर बीसीसीआई व यूसीए को राहत दिलवायी।

मसूरी:-  मसूरी के युवा अधिवक्ता आर्यनदेव उनियाल ने उत्तराखंड हाई कोर्ट में बीसीसीआई व उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन के खिलाफ लगायी गयी चाचिका को दो घंटे तक सुनवाई में कुशाग्र बुद्धि से अकाटय तर्क प्रस्तुत कर खारिज करवा दिया।
मालूम हो कि उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन व बीसीसीआई पर एसोसिएशन के याचिका कर्ताओं ने निलबंन के आदेश को चुनौती दी थी वहीं सीएयू में वित्तीय अनियमितताओं व कुप्रबंधन के गंभीर आरोप लगाये थे। बीसीसीआई की ओर से मसूरी ये युवा अधिवक्ता आर्यनदेव उनियाल उच्च न्यायालय में याचिका के खिलाफ अकाटय तर्क दिए जिसे कानूनी प्रक्रिया की अनदेखी व न्यायालय के अनुच्छेद 226 के अधिकार क्षेत्र का अनुचित उपयोग बताया। उन्होंने अपने तर्क में कहा कि जब याचिकाकर्ताओं के पास सिविल न्यायालय जैसी वैकल्पिक विधिक व्यवस्था है, तो सीधे उच्च न्यायालय में नहीं जाना चाहिए था। उन्होंने कहिक बीसीसीआई व सीएयू संस्था संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत राज्य नहीं मानी जाती और न ही ओम्बुडसमेने द्वारा पारित आदेशों को सीधे हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति ने आर्यनदेव उनियाल के कानूनी पक्षों पर सहमति जताते हुए कहा कि जब वेकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध है तो हाईकोर्ट में सीधी सुनवाई न्यायिक अनुशासन के विपरीत होगी। वहीं उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वीबीएस नेगी ने भी पक्ष रखते हु बताया कि याचिकाकर्ताओं  को उचित कारण बताओं नोटिस जारी कर नियमानुसार निलंबित किया गया था, लेकिन न्यायालय की ओर से बीसीसीआई की ओर से आर्यनदेव उनियाल के प्रस्तुत तर्कों को ही निर्णायक माना व उसी आधार पर याचिका को खारिज कर दिया गया। इस निर्णय से बीसीसीआई व उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन की बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। हाईकोर्ट में आर्यनदेव उनियाल की मजबूत पैरवी करना उनकी उज्जवल भविष्य को दर्शाता है।