मसूरी:- बियॉन्ड बॉर्डर्स दृ आर्ट एंड कल्चर फेस्टिवल 2025 के तहत मसूरी में दस देशों से आये चित्रकारों ने कैनवास पर उत्तराखंड के प्राकृतिक सौंदर्य व देवभूमि की आध्यात्मिकता पर चित्र बनाकर अपनी कला का प्रदर्शन किया।
मसूरी के एक होटल में आये दस विदेशी चित्रकारों ने बियांन्ड बार्डर्स द आर्ट एंड कल्चर फेस्टिवल के तहत अपनी कला को प्रदर्शित किया व स्थल पेंटिंग बनाई। इस मौके पर फेस्टिवल के निदेशक कुमार विकास सक्सेना ने बताया कि एक अनोखी कला यात्रा है, जिसे ’’एम्पावरमेंट द आर्ट एंड कल्चर ऑर्गनाइजेशन द्वारा आयोजित किया गया है। जिसमें अंतरराष्ट्रीय कलाकारों को एक साथ लाकर विभिन्न सांस्कृतिक परिदृश्यों को खोजने, अनुभव करने और व्यक्त करने का अवसर देती है। इसका उद्देश्य संस्कृति और कला के माध्यम से संवाद और सहयोग को बढ़ावा देना है। फेस्टिवल का पहला चरण दिल्ली में हुआ, जहां कलाकारों ने ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण किया, कला स्टूडियो में संवाद किए और गहरी चर्चाओं में भाग लिया। अब यह फेस्टिवल दूसरे चरण में उत्तराखंड में पहुँच चुका है, जो ऋषिकेश की आध्यात्मिक भूमि और मसूरी की शांत पहाड़ियों में आयोजित हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसका उददेश्य बाहर के कलाकारों को भारत बुलाये व विशेष कर उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत से इनका परिचय कराना है ।
इसमें कलाकार दस देशो फ्रांस, कजाकिस्तान, हंगरी, आस्ट्रिया, सिल्वेनिया, सर्विया, ग्रीस, थाइलैंड, बैंकांक, से आये हैं। ऋषिकेश में कलाकारों ने इस पवित्र नगरी की दिव्यता को महसूस किया। उन्होंने परमार्थ निकेतन में गंगा आरती का अनुभव किया और इस भूमि की आध्यात्मिक ऊर्जा को आत्मसात किया। यह अनुभव उनकी कला में झलकने लगा व कई कलाकारों ने शहर की शांति, आध्यात्मिकता और लयबद्ध ऊर्जा को अपनी कृतियों में उकेरा। अब ये कलाकार मसूरी में पेंटिंग कर रहे है, जहां ठंडी हवा और अचानक हुई बारिश ने उनके रचनात्मक सफर को और खूबसूरत बना दिया है। कुछ कलाकार खुले आसमान के नीचे पेंटिंग बना रहे है जबकि कुछ इनडोर रहकर अपने अंदाज में इन दृश्यों को कैनवास पर उतार रहे हैं। उन्होंने बताया कि बैंकॉक के कलाकार सुरिया कून ने मसूरी की सुंदरता को अपनी कला में जीवंत कर दिया, जिसमें ऋषिकेश की आध्यात्मिक ऊर्जा भी झलकती है, फ्रांस की कलाकार कैरोला ने बारिश के बीच लाइव पेंटिंग की, जिसमें धुंध से ढकी पहाड़ियों को उनके अनूठे अंदाज में दर्शाया गया, थाईलैंड के थीपतिस बूनविजिटनितितोर्न ने ऋषिकेश की आध्यात्मिकता से प्रेरित होकर प्रकाश की भूमि नामक एक चित्र बनाया, जिसमें नटराज का अद्भुत चित्रण किया गया है, स्लोवेनिया की कलाकार कार्मेन ने उत्तराखंड में मिली आध्यात्मिक शांति को हाथों की मुद्राओं हस्त मुद्राओं के माध्यम से दर्शाया, जिसमें एक केसरिया पृष्ठभूमि पर खुले हृदय की भावना प्रकट की गई है, कज़ाकिस्तान के कलाकार नूरलान ने हिमालय की एक मासूम बच्ची का चित्र बनाया, जिसमें भारतीय और कज़ाख संस्कृति का सुंदर समन्वय दिखता है, ग्रीस की कलाकार निकोलेटा ने होली के रंगों को अपनी कला में उतारा, जिससे इस पर्व की जीवंतता महसूस की जा सकती है, सर्बिया के कलाकार निकोला ने अपने खास अंदाज में मसूरी की रहस्यमयी सुंदरता को उकेरा, हंगरी की कलाकार एस्टर को गंगा आरती में जलाए जाने वाले सर्पाकार दीपो ने बहुत आकर्षित किया, जिससे वे भगवान शिव से प्रेरित हुईं और इस विषय पर एक अनोखी कृति बनाई। उन्होंने कहा कि यह फेस्टिवल कला और संस्कृति के माध्यम से सीमाओं से परे एकता और सौहार्द का संदेश दे रहा है, जहाँ कलाकारों ने अपनी कृतियों के जरिए भारत की आध्यात्मिकता और प्राकृतिक सुंदरता को महसूस किया और उसे अपनी कला में अभिव्यक्त किया। उन्होंने कहाकि वह पेंटर होने के नाते कई देशों में गया, कलाकार एक दूसरे को संमझे, एक दूसरे की संस्कृति को समझे, धर्म अलग चीज है। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में विदेशों सहित देश के चित्रकारों को बुलाया जायेगा उसके साथ देश व उत्तराखंड के चित्रकारों को भी बुलाया जायेगा।
