ऋषि पंचमी एवं गणेश उत्सव पर स्विट्ज़रलैंड में विशेष अनुष्ठान।

मसूरी:-  स्विट्ज़रलैंड अवस्थित आर्यम इंटरनेशनल फाउंडेशन के अन्तर्गत संचालित भगवान शंकर आश्रय में श्री गणेश उत्सव और भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की पंचमी व ऋषि पंचमी के अवसर पर दिव्य पुष्पार्चन किया गया। इस पूजा के लिए श्री शक्ति संधान पीठ, भारत के कुलप्रमुख परमप्रज्ञ जगद् गुरु प्रोफ़ेसर पुष्पेन्द्र कुमार आर्यम जी महाराज मौजूद रहे।
ट्रस्ट की अधिशासी प्रवक्ता माँ यामिनी श्री ने बताया कि आर्यम जी महाराज ने पुष्पार्चन में शामिल होने वाले यूरोपियन श्रद्धालुओं को श्री गणेश चतुर्थी एवं ऋषि पंचमी के महत्व के बारे में बताया गया। उन्होंने बताया कि सप्तर्षि का अर्थ सात ऋषि, जो की वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र और भारद्वाज जी थे जिन्हें ब्रह्मा जी का मानस पुत्र भी कहते है उनको ईश्वर की वाणी वेद के प्रचार और प्रसार के लिए चुना गया। इन में से एक ऋषि विश्वामित्र जी ही गायत्री मंत्र का प्रादुर्भाव किया। प्राचीन धर्म ग्रंथ जैसे की ऋग्वेद की रचना में भी सप्तर्षि का विशेष योगदान रहा है। इस दिन को गुरु पंचमी भी कहते है, क्योंकि सप्तर्षि भी गुरु ही थे जो कि किसी आत्मा रूपी मनुष्य को परमात्मा के समीप जाने का मार्ग बताते थे। गुरुदेव आर्यम जी ने बताया कि शिव सबके गुरु है, इसलिए ऋषि पंचमी को उनका पाठ करने से लाभ मिलता है। इस दिन गंगा स्नान का भी महत्व है। पुष्पार्चन में श्रद्धालुओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और पूजा के बाद सबको भोजन प्रसाद करवाया गया। गुरुदेव के आने की ख़ुशी में , भक्तों के अग्रह पर गुरुदेव ने पूजा के बाद उनके संस्मरण सुने और उनके प्रश्नों की जिज्ञासा भी शांत की। अनेक भारतवशीं जो अब यूरोप में बस गये हैं धीरे धीरे आश्रम गतिविधियों का हिस्सा बन रहे हैं। इस आयोजन को सफल बनाने में जीतेश आर्य, अनीता, प्रोबिता, पीटर, विद्या, राजेश, प्रह्लाद, कुसुम, राजीव, नीतू, रिंकु, मुकेश एवं हर्षिता आर्यम आदि का विशेष योगदान रहा।